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Monday, July 18, 2011

सावन में की गई शिव पूजा शीघ्र फलप्रद होती हैं।


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शिव की सत्ता में विश्वास करने वाले शैव ग्रंथों में भगवान शिव सृष्टि की रचना, पालन और विनाशक शक्तियों के स्वामी हैं। यही कारण है कि शिव आराधना किसी भी वक्त, काल और युग में सांसारिक बाधाओं को दूर करने वाली मानी गई है। लेकिन सावन माह, उसकी तिथियां या सोमवार पर शिव भक्ति जल्द मनोरथ सिद्धि की दृष्टि से बाकी माहों व तिथियों से तुलनात्मक रूप से श्रेष्ठ मानी गई है। इसके पीछे धर्मग्रंथों में बताई कुछ खास पौराणिक मान्यताएं हैं -

एक पौराणिक मान्यता के मुताबिक मरकंडू ऋषि के पुत्र मारकण्डेय ने लंबी आयु के लिए सावन माह में ही घोर तप कर शिव कृपा प्राप्त की। जिससे मिली मंत्र शक्तियों के सामने मृत्यु के देवता यमराज भी नतमस्तक हुए।

इसी तरह ही दूसरी मान्यता है – अमरनाथ गुफा में भगवान शंकर द्वारा माता पार्वती के सामने अमरत्व का रहस्य उजागर करना।

जिसके मुताबिक अमरनाथ की गुफा में जब भगवान शंकर अमरत्व की कथा सुनाने लगे तो इस दौरान माता पार्वती को कुछ समय के लिए नींद आ गई। किंतु उसी वक्त इस कहानी को वहां उपस्थित शुक यानि तोते ने सुना। जिससे वह शुक अमरत्व को प्राप्त हुआ। तब गोपनीयता भंग होने से भगवान शंकर के कोप से बचकर निकला यही शुक बाद में शुकदेव जी के रुप में जन्मा। जिन्होंने नैमिषारण्य क्षेत्र में यही अमर कथा भक्तों को सुनाई।

मान्यता है कि इसी स्थान पर भगवान शंकर ने ब्रह्मा और विष्णु के सामने सृष्टि चक्र की रक्षा और जगत कल्याण के लिए शाप दिया कि आने वाले युगों में इस अमर कथा को सुनने वाले अमर न होंगे। किंतु इस कथा को सुनकर हर भक्त पूर्व जन्म और वर्तमान जन्म में किए पाप और दोषों से मुक्त होकर शिवलोक को प्राप्त होगें। विशेष रूप से सावन के माह में इस अमर कथा का पाठ या श्रवण जनम-मरण के बंधन मुक्त कर देगा।

ऐसे पौराणिक महत्व से ही श्रावण मास में शिव आराधना को शुभ और शीघ्र फलदायी  माना जाता है। जिसमें शिव पूजा, अभिषेक, शिव स्तुति, मंत्र जप, शिव कथा को पढऩा-सुनना सभी सांसारिक कलह, अशांति व संकटों से रक्षा करते हैं। श्रावण मास में शिव उपासना ग्रह दोष और पीड़ा का अंत करने वाली भी मानी गई है।

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